कुलसचिव का संदेश

श्री संतोष कुमार श्रीवास्तव

श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्विद्यालय भारत में पारंपरिक एवं सांस्कृतिक उच्च शिक्षा प्रणाली में एक विशेष स्थान रखता है। 1962 में अपनी स्थापना के बाद से, विश्नेविद्यालय ने राष्ट्र के सांस्कृतिक मूल को नवोन्मेषी बनाने और संरक्षित करने करने में महत्वपूरण प्रतिबद्धता दिखाई है। हम विश्विद्यालय में में सकारात्मक विचारों के लिए एक मूल आधारबनने और विचारों के खुलेपन, सांस्कृतिक बहुलता और भारत में अनेकता में एकता के प्रतीक के रूप में उभरने की निरंतर कामना करते हैं|
हम अपने समाज में पारंपरिक शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने के लिए विवेक, दक्षता, रचनात्मक एवं करुणा को विकसित करके प्रत्येक छात्र को परिष्कृत करने का प्रयास करते है| विश्विद्यालय न केवल प्रारंपरिक शिक्षा का प्रसार करने में, अपितु शास्त्रीय परम्परा शिक्षा का प्रसार करने में, अपितु शास्त्रीय परम्परा, प्रारंपरिक संस्कृत विद्या, संस्कृत शिक्षा के शैक्षणिक पहलुओ, भारतीय संस्कृति के मूल्य, सूचकाको/संलग्न और संस्कृत की ग्रन्थ सूची आदि के संरक्षण में भी महत्वपूरण भूमिका में है|
इस प्रतिषिठत विश्विद्यालय की कुलसचिव के रूप मेंमेरा ध्यानअपनी रणनीति दिशा को परिष्कृत करने एवं विकास के अवसरों की पहचानकरने पर होगा| हम अपनी शक्तियों कोपरिभाषित करके और अपने विशिष्ट चरित्र औरपहचान का निर्माण करके बदलती शिक्षा की चुनौतिओ का सामना कर रहे है|विश्विद्यालय में कार्य करने का अच्छा माहौल है|
हम अपनी सभी गतिविधियों:- शिषण एवं अधिगम, अनुसंधान एवं प्रशासन और स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदायों की सेवा में उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्ध है| हम सभी से विश्विद्यालय परिसर में एक स्वस्थ, पारम्परिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, शांतिपुरण और समृद्ध वातावरण को बढ़ावा देने में शामिल होने का आग्रह करते है| हम सक्रिय रूप से कार्य करते हुए विश्विद्यालय को बौद्धिक संस्थानों, समृद्ध, अनुभवों एवं उपयोगी सुचाओ से समृद्ध करते है|